न्यूयॉर्क, | डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने मंगलवार को विदेशी कुशल श्रमिकों के लिए एच1बी वीजा जारी करने में कटौती करने और ‘डेटा’ का हवाला देते हुए वेतन आधारित प्रवेश बाधाओं को सख्त कर दिया है क्योंकि एच1बी गैर-अप्रवासियों के कारण 500,000 से अधिक अमेरिकियों ने अपनी नौकरी खो दी है।
बड़ी संख्या में भारत और चीन के लोग एच1बी वीजाधारक हैं अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, भारत के 70 प्रतिशत हैं।
पत्रकारों के साथ बातचीत में कार्यवाहक डिप्टी डीएचएस सेक्रेटरी केन कुकसिनेली ने कहा कि जिन लोगों ने एच 1 बी वीजा के लिए आवेदन किया है, उनमें से एक तिहाई को नए नियमों के तहत वीजा जारी करने से मना किया जाएगा।
ट्रंप द्वारा अमेरिकी चुनाव से पहले वीजा को लेकर सख्ती बरतना विदेशी कामगारों के लिए सामान्य बात हो गई है।
न्यूयॉर्क शहर के जेपी मॉर्गन साइट पर एक एच1बी वीजा वर्कर ने आईएएनएस को बताया, “अगर यह नहीं हुआ होता तो हैरानी होती।” उसने आगे कहा कि सैलरी रिक्वायरमेंट ट्रंप प्रशासन के पक्ष में एक ‘गेमचेंजर’ होगी।
कई एच1 बी वीजा धारकों का भी कुछ ऐसा ही मानना है कि वे यह सब पहले भी देख चुके हैं।
ये नया झटका ऐसे समय में आया है जब विदेशी कामगारों के लिए वीजा निगरानी बढ़ा दी गई है। अमेरिकी श्रम विभाग (डीओएल), अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) और होमलैंड सुरक्षा विभाग (डीएचएस) नए नियमों को ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं।
न्यूनतम वेतन आवश्यकताओं के लिए श्रम विभाग के संशोधन गुरुवार से प्रभावी हो जाते हैं और डीएचएस का एच 1 बी संशोधन 60 दिनों में आ जाएगा।
अमेरिकी श्रम विभाग ने कहा, “जब एच-1बी, एच-1बी1, या ई-3 वीजा के लिए मांग की जाती है, तो अमेरिकी नियोक्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अधिकृत रोजगार की अवधि के दौरान गैर-अप्रवासी श्रमिकों को भुगतान करेंगे, प्रचलित मजदूरी या वास्तविक वेतन समान अनुभव और योग्यता वाले अन्य कर्मचारियों को भुगतान किया जाए।”
होमलैंड सिक्योरिटी डिर्पाटमेंट के एक बयान में कहा गया है कि डेटा से पता चलता है कि अमेरिका में पांच लाख से अधिक एच -1 बी गैर-अप्रवासियों का इस्तेमाल अमेरिकी कामगारों को विस्थापित करने के लिए किया गया है।